Monday 24 March, 2008

श्रद्धा

श्रद्धा

(३१)

हे राम ! तुम्हारी रामायण को

कब किसने समझा- जाना है

दिए उदाहरण स्वार्थ हेतु ही

समझा इसको ताना- बाना है

करें कल्पना राम - राज्य की

पर हरकत विपरीत मिले हरदम

आदर्श रचोगे हो श्रद्धा में रत

तभी राम - राज्य को आना है

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