Sunday 16 March, 2008

श्रद्धा

श्रद्धा
(९)
मेरे देवालय , तेरे मस्जिद
उनके चर्च , गुरद्वारे भी यहाँ
अपनों में ये श्रद्धा भी कैसी
रहते नत-मस्तक सभी यहाँ
कर,विस्तृत कर, स्व-श्रद्धा और
भेद-भाव से तब लेगा मुंह मोड़
भुला सभी धर्मों का उपहास
जोड़े मानव से मानव यही यहाँ

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