श्रद्धा
(४५)
प्रगति के सोपानों की तस्वीरें तूने
कमाई के चढ़ते ग्राफों में ही ढाली है
कर दर-किनार मानव-मूल्यों को
कमाने की आपा-धापी ही पाली है
निःशक्त बनोगे कालांतर में जब
अपने तो क्या, ग्राफ भी बेमानी होंगें
जो रमें मानव-मूल्यों में श्रद्धा से
तो सेवार्थियों ने भीड़ जमा ली है