Thursday 18 December, 2008

श्रद्धा

श्रद्धा

(४५)


प्रगति के सोपानों की तस्वीरें तूने

कमाई के चढ़ते ग्राफों में ही ढाली है

कर दर-किनार मानव-मूल्यों को

कमाने की आपा-धापी ही पाली है


निःशक्त बनोगे कालांतर में जब

अपने तो क्या, ग्राफ भी बेमानी होंगें


जो रमें मानव-मूल्यों में श्रद्धा से

तो सेवार्थियों ने भीड़ जमा ली है