Saturday, 15 March 2008

श्रद्धा

श्रद्धा

(३)

सागर बीच फंसी है नैया
ब्याकुल नहीं तनिक खेवैया
श्रद्धा पूर्ण बसी है पालों में
ये पार करा देगी रहिया

रोने से बेहतर, विश्वास भरो
जीवित रहने का अहसास करो

श्रद्धा एक रमा कर मन में
पायेगा बस खुशियाँ ही खुशियाँ

No comments: