Sunday, 4 October 2009

आभारव्यक्ति

विनम्र निवेदन

पिछली कई पोस्ट पर हमारे कुछ सम्माननीय समालोचक हमसे विनम्र निवेदन करते आ रहे हैं कि ब्लॉग पोस्ट में टिप्पणी देने वालों के प्रति आभारव्यक्ति न करें।
आभारव्यक्ति करना चाहिए या नहीं, इस पर विवाद करने पर बहुत सी बातें ऐसी सामने आ सकती हैं जिससे सौहार्दपूर्ण माहौल ख़राब हो सकता है. अतः मैं किसी भी प्रकार का विवाद नहीं चाहता और न ही इस मंच को विवाद स्थल. मै तो सिर्फ इतना जानता हूँ कि आपने हमें अपना स्नेह दिया और भाव-विभोरित हो कर मुझे आभारव्यक्ति का हक है, और आप में से कुछ इसे बड़प्पन दिखाते हुए नहीं चाहते तो क्या मैं अपने संस्कार छोड़ दूं? मेरा आपसे भी विनम्र अनुरोध है कि मुझे ऐसा करते रहने दें सौहार्द पूर्वक, वैसे भी क्षमा बडन को चाहिए......

तार्किक विवादों का मैं घुर विरोधी रहा हूँ. सत्य को, संस्कारों को अपने तर्कों द्वारा ढहाना मुझे कभी पसंद न रहा, पर चूँकि ब्लाग मैं अपनी पसंद का उतना महत्त्व नहीं अतः विचार कर मैनें यह निर्णय लिया कि अब से अपनी नयी पोस्ट के साथ पिछली पोस्ट में समालोचकों के प्रति आभारव्यक्ति का प्रचलन तो कम से कम बंद ही कर दूँ......

लेकिन, जैसा कि मैंने ऊपर कहा है, इस परंपरा का निर्वहन भी करना चाहता हूँ, अतः अब से मैं पोस्ट प्रकाशित करने से पूर्व पहले की पोस्ट में समालोचकों की आभारव्यक्ति के लिए एक और पोस्ट "आभारव्यक्ति" के नाम से प्रकाशित करूंगा. आप सब से विनम्र अनुरोध है की इस "आभारव्यक्ति" पोस्ट पर किसी भी प्रकार की टिपण्णी न दें, क्योंकि यह विशुद्ध सम्मानित आभारव्यक्ति के लिए है और मैं अपनी इस सांस्कारिक परंपरा का निर्वहन स्वान्तः सुखाय करना ही चाहता हूँ...........

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आभारव्यक्ति
मेरी पिछली पोस्ट (२८ सितम्बर,२००९) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले निम्न सभी सम्मानीय क्षुदी और शुभचिन्तक पाठक/ पाठिकाओं... या कहें कि स्नेहिल टिप्पणीकारों (क्रम वही, जिस क्रम में टिपण्णी/ प्रतिक्रिया/ आलोचना/ समालोचना प्राप्त हुई)....

बबली जी, संजीव गौतम जी, शरद कोकास जी, "क्षमा" जी, संजीव तिवारी जी, डा. टी एस दराल जी, राज भाटिय़ा जी, हिमांशु पाण्डेय जी, मनोज भारती जी, सर्वत एम. ज़माल जी, शमा जी, रंजना [रंजू भाटिया] जी, हेम पाण्डेय जी, ब्रज मोहन श्रीवास्तव जी, "सच्चाई" जी, लता 'हया' जी, विनोद कुमार पांडेय जी, रश्मि प्रभा जी, ज्योति सिंह जी, निर्मला कपिला जी, मुकेश कुमार तिवारी जी, प्रेम फरुख्खाबादी जी, अभिषेक ओझा जी, चंदन कुमार झा जी, Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" जी, शोभना चौरे जी, अमिताभ (अमिताभ श्रीवास्तव) जी, सुलभ सतरंगी जी, डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी, मुरारी पारीक जी, दिगम्बर नासवा जी, अपूर्व जी, Mrs आशा जोगलेकर जी, सुमन जी, दर्पण साह "दर्शन"जी, महफूज़ अली जी, रंजना (रंजना राठौर) जी, संध्या जी, पी.सी. गोदियाल जी, समीर लाल (उड़न तश्तरी)जी, देवेन्द्र जी, संजय व्यास जी, हर्ष जी, singhsdm ji, गिरिजेश राव जी, वंदना अवस्थी दुबे जी, प्रेम जी, योगेश स्वप्न जी, मार्क राय एवं अनुपम अगरवाल जी का विशेष रूप से हार्दिक आभारी हूँ कि आप सभी ने पहले की ही तरह स्नेह बनाये रखते हुए २८ सितम्बर की मेरी पोस्ट पर भी ह्रदय से मेरी हौसला अफजाई कर भविष्य में भी इसी तरह कुछ न कुछ लिखते रहने और पोस्ट करने लायक संबल प्रदान किया है और आशा है कि भविष्य में भी कुछ यूँ ही अपना-अपना स्नेहिल मार्गदर्शन मेरे ब्लाग पर आकर मुझे अनवरत प्रदान करते रहेंगें....

मैं उन गुरुजन से टिप्पणीकारों का भी विशेष आभारी हूँ, जिन्होंने अलग से मेरे मेल ऐड्रेस पर सन्देश लिख मुझे और भी बेहतर लिखने मार्फ़त सुझाव/ टिप्स दिए.

और अंत मे, मैं अपने उन सह्रदय, परम आदरणीय टिप्पणीकारों का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जो प्रायः मेरे ब्लाग पर आकर मुझे अपने आशीष वचनों से नवाजते ज़रूर हैं, किन्तु मेरी पिछली पोस्ट पर किसी न किसी खास काम में व्यस्तता के कारण टीका-टिपण्णी करने से चूक गए।

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विनम्र अनुरोध
आप सब से विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस "पोस्ट" पर टिपण्णी न करे, यह विशुद्ध रूप से सिर्फ और सिर्फ अपने सभी स्नेहिल टिप्पणीकारों के प्रति सम्मानपूर्वक आभारव्यक्ति के लिए है. इस पोस्ट से सम्बंधित किसी भी तरह की टिपण्णी आप मेरी अगली पोस्ट में कर सकते हैं. आशा है आप सभी अपना पूर्वत स्नेह बनाये रखेंगें..........
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1 comment:

Randhir Singh Suman said...

..प्रतीक्षित है.