Wednesday 16 July, 2008

श्रद्धा

श्रद्धा
(३९)
कहते हैं कि आज का जीवन
अत्यधिक त्वरित हो गया है
अमन-चैन, भाई-चारा तो अब
आपाधापी को तिरोहित हो गया है
हो सहज ज़रा प्रकृति तो निहारें
बिखेरती स्फूर्ति जो संजोग के सहारे
हो श्रद्धानत सीखोगे जीना संयम से
लगेगा जीवन बाधा रहित हो गया है

2 comments:

seema gupta said...

हो सहज ज़रा प्रकृति तो निहारें
बिखेरती स्फूर्ति जो संजोग के सहारे
हो श्रद्धानत सीखोगे जीना संयम से
लगेगा जीवन बाधा रहित हो गया है
"true thoughts"

डॉ .अनुराग said...

bahut achhe vichaar hai...