आप लोगों के लगातार मिल रहे उत्तरोत्तर स्वास्थ्य-लाभ के शुभकामनाओं सन्देश का ही यह प्रतिफल है कि मेरे हाथ की पट्टियाँ कल खोल दी गई, और यह बताया गया की अगले दस-एक दिन में हाथ लगभग ९८% ठीक हो जायेगा. घाव तो लगभग भर गए हैं, किन्तु नए चर्म कि कोमलता अभी कुछ और समय चाहेगी विशेष सावधानी का. दवाओं से सराबोर हाथ कुछ विशेष करने ही नहीं देता...............
आषाढ़ बीत चुका, सावन भी जाने को आ रहा है, पर देश के अधिकांश हिस्सों में "प्रकृति" का बारिश के रूप में प्रकट न होना कहीं उसके रुष्ट होने का संकेत तो नहीं..........
इन्ही भावों से प्रेरित हो कर श्रद्धा की अगली कड़ी प्रभु के आशीर्वाद से कुछ ये रूप ले पाई है................
श्रद्धा
(५७)
गदराए मेघों नें कर शंखनाद
तांडव बिजली का भी दिखलाया
पवन - वेग के झोकों ने देखो
पल में कैसे इनको छितराया
"कितने बदल गए इन इंसानों" को
दिखला रही प्रकृति चंद नमूनों को
"श्रद्धा-भक्तों" ने,लेकिन परहित का
"जन-हित"ही में परचम लहराया
26 comments:
बरसो मेघा.....और बरसकर कवि के हाथों को अपनी ठंडक दे जाओ......जल्दी घाव भरे
ये अच्छा समाचार सुनाया आपने कि स्वास्थय में सुधार हो रहा है।
"कितने बदल गए इन इंसानों" को
दिखला रही प्रकृति चंद नमूनों को ।।
बिल्कुल सच कहा आपने......
आप स्वस्थ हो रहे हैं,सुनकर अच्छा लगा.रचना अच्छी है.
इस बार तो मेघ रूठे ही रहे हैं।
आपको शुभकामनायें।
"श्रद्धा-भक्तों" ने,लेकिन परहित का
"जन-हित"ही में परचम लहराया
सुंदर विचार जो कविता बन गयी
जल्द ही आप और अच्छे हो जाएँगे..
Aap swasth ho rahen hain jaan kar khushi hui.Rachna achchi lagi.
"कितने बदल गए इन इंसानों" को
दिखला रही प्रकृति चंद नमूनों को
बिलकुल सही कहा मित्र, इंसान के बदले हुए रूप और प्रकृति की रिटर्न गिफ्ट के कई और नमूने भी हम नित्य देख ही रहे हैं. अब आप जल्दी से हाथ ठीक कर लीजिये ताकि और सामायिक विषयों पर चर्चा हो सके.
Bahut sundar kavita.
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
Bahut sundar kavita.
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
thanks and get well soon.
Prakriti ka sanidhya aur barse megha....bahut khub. Get well soon.
फ्रेण्डशिप-डे की शुभकामनायें. "शब्द-शिखर" पर देखें- ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे !!
sach me parkriti apnanmuna dikha rahi hai..boht khoobsurat andaz me kaha apne...
जल्दी से जल्दी स्वास्थ्य लाभ करें । मेघ जरूर बरसेंगे आस बनाये रखें ।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये सुंदर रचना मुझे बेहद पसंद आया!
चन्द्रमोहन जी,
ईश्वर से प्रार्थना है कि आप शीघ्र ही पूर्ण-स्वस्थ्य होकर सक्रिय हों।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
भाई, आप ठीक आदमी नहीं लगते. अस्वस्थ हुए और सूचना तक नहीं दी. यार, हम लोग दूर हैं लेकिन दुआ तो कर सकते थे. मेघों तथा वर्षa ऋतु को समर्पित इस रचना का अवतरण तब हुआ है जब राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किये जाने की होड़ लगी है. लेकिन रचना वास्तव में 'श्रद्धा' योग्य है.
jaipur में भी sawan ने dikhai नहीं jhalak,
अब तो aasaad भी aa गया...
kher आप jaldi ठीक हो jayen..
shubkamnayen
somadri, jaipur
http://som-ras.blogspot.com
pehle to main aapka shukriya adaa karna chahoonga..... aapne itni sunder tippani di.....
aaj pehli baar apke blog pe aaya to aapke swaasthya ke baare mein pata chala...... is baat ka dukh hai ki main aapke boore daur mein aapke saath nahin raha...... par main khuda se aapke achche swaasthya ki kaamna karta hoon.... aur aap achche ho rahe hain....... is baat ki mujhe bahut khushi hai.....
GET WELL SOON........
Namaskar......
barsat apne sath sab kuch baha le jati haiya usme sab kuch dhul jata hai .
स्वास्थय में सुधार हो रहा है ये अच्छा समाचार है....
कितने बदल गए इन इंसानों" को
दिखला रही प्रकृति चंद नमूनों को
Dil si nikli hai ye shradhaa......Lajawaab
dua kabool hui aur aap jaldi swasthya hote jaa rahe yah jaan khushi hui .rachana bhi tandav karti nazar aa rahi hai ,baarish ke liye shiv ki jata khulwa rahi hai .insaano ke karmo ke hisaab karwati hui . umda .
गुप्तजी,
'समवेत स्वर में...' कविता पर आपकी टिपण्णी के लिए आभारी हूँ. 'मुमुक्षु की रचनाएं' भी देखी हैं. सच है, बaदल अब मनुहार से नहीं बरसने वाले !... प्रकृति से हमने ज्यादा ही छेड़छाड़ की है ! शुभकामनायें !!
sir ye jaankar khushi hui ki aap theek ho rahe hai . meri praarthana hai ki jaldi hi aap theek ho jaaye ..
aapki likhi shradha padhi , man me adhyaatm ke gahre bhaav jud gaye...
badhai..
aabhar
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
'पवन - वेग के झोकों ने देखो
पल में कैसे इनको छितराया'
- इस पवन वेग के विरुद्ध कुछ करने की आवशकता है.
वाह गुप्ता जी वाह...चंद पंक्तियों में कितनी बड़ी बात कह गए आप...आप की लेखनी को नमन...
मेरी पोस्ट पर आज दिया आपका कमेन्ट बहुत जोरदार रहा...ऐसा कमेन्ट सिर्फ और सिर्फ आप के बस की ही बात है...स्नेह बनाये रख्खें...
नीरज
नभ की ओर उठा कर मुण्डी, मेंढक चिल्लाते हैं।
बरसो मेघ धड़ाके से, ये कातर स्वर में गाते हैं।।
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