Wednesday, 22 July 2009

श्रद्धा

आप सभी स्नेही जन का मैं अत्यंत शुक्रगुजार हूँ की आप लोगों ने आपदा की इस बेला में तहे दिल से ईश्वर से, परवरदिगार से मेरे शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की कामना की. आप लोगों की दुवाओं का प्रतिफल है की मैं ठीक होने की तरफ अग्रसर हूँ.

हाथ की परेशानी के कारण मैं अलग- अलग तो आप लोगों का शुक्रिया अता न कर सका अतः प्रार्थना है की इसे ही मेरी दिली शुक्रिया के रूप में लें.

आप लोगों के भीगे, प्यारे अहसासों से मेरे अंतःकरण में निम्न पंक्तिया गुंजित होने लगी.....
भूल गए सारे ही दुख-दर्दों को
पा प्यारे , भीगे अहसासों को
और ईश्वर की कृपा से श्रद्धा की एक और कड़ी सृजित हो गई, क्योंकि यह आप सब के स्नेह का प्रतिफल है, अतः समर्पित भी आप सभी को है ................

श्रद्धा
(५६)

गदरा कर मेघों ने नभ घेरा
हुंकार भरी, भ्रकुटी भी तानी
प्यासी धरती के प्यासे जन
झूम रहे संग स्वागत वाणी
भूल गए सारे ही दुख-दर्दों को
पा प्यारे , भीगे अहसासों को
'जीवन- कष्टों की बढती गाथा
क्या जाने,"श्रद्धा" जिसने जानी

26 comments:

Urmi said...

काफी दिनों बाद आपका लाजवाब और शानदार रचना पड़ने को मिला! बहुत बढ़िया लगा!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

चन्द्रमोहन जी, बडी अच्छा लगा जानकर कि आपको स्वास्थय लाभ हो रहा है। बस आप जल्दी से स्वस्थ होकर आएं ओर नियमित रूप से श्रद्धा को विस्तार देते रहें।
शुभकामनाएं........

डॉ. मनोज मिश्र said...

आप जल्द स्वस्थ हो ,यही कामना है.

रश्मि प्रभा... said...

कलम में जादू है,मेघों का समूह धन्य हुआ

Gyan Dutt Pandey said...

मेघ छा गये हैं - आशा की किरणे लिये!

कडुवासच said...

... बेहद प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!

ज्योति सिंह said...

dua asar hoti rahe ,sahyog aapas ka bana kahe ,phir mushkl har aasaan hai .aapne jo baate sansakaro ki batai wo padhakar bbahut hi achchha laga .

शोभना चौरे said...

aur isi shrdhha ne megh barsa diye.
badhai
shubhkamnaye.

दिगम्बर नासवा said...

चन्द्रमोहन जी, अच्छा लगा जानकर कि आप ठीक हो गय और दुबारा पनी लाजवाब "श्रद्धा" के साथ वापस हैं.......
सुंदर कृति का निर्माण किया है आपने Bahoot bahoot शुभकामनाएं....

डॉ टी एस दराल said...

स्वस्थ्य लाभ के बाद ब्लॉग पर स्वागत है.
एक अच्छी अभिव्यक्ति.

Alpana Verma said...

ख़ुशी हुई जान कर आप अब पहले से स्वस्थ हैं.
हमारी शुभकामनायें हमेशा साथ हैं.हाँ आप ने जो पंक्तियाँ जो सभी को समर्पित कीहैं वे बहुत ही खूबसूरत हैं और मन के भावों ने उन्हें और भी सुन्दर बना दिया है.
सच कहा है की ईश्वरकी श्रद्धा में एक और कड़ी जुड़ गयी.

लता 'हया' said...
This comment has been removed by the author.
लता 'हया' said...

thanks.like ur occupation.

Murari Pareek said...

वाह चन्द्र मोहन जी बहुत सुन्दर आभार प्रकट किया की हम आपके आभारी हो गए | परमात्मा आपके स्वास्थ्य में जल्द इजाफा करे |

Prem Farukhabadi said...

nai umang naya utsaah bana rahe aur naya naya kuchh likhte rahen.kavita aapki bahut achchhi lagi . badhai

अमिताभ श्रीवास्तव said...

ओह। मुझे पता ही नहीं चला कि आप किसी 'आपदा' के दौर से गुजरे। आपके ब्लोग बैठक मे तशरीफ न लेकर आने की वजह। अपनी व्यस्तताओं की वजह। कभी कभी लगता है इन व्यस्तताओं मे आदमी आदमी से कितना दूर हो जाता है। खैर..।
ईश्वर आपको शीघ्र पूरी तरह स्वस्थ करे। आप अपना ध्यान रखा कीजिये जनाब, ईमानदारी से।

Himanshu Pandey said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति । धन्यवाद ।

Smart Indian said...

माफ़ कीजिये, मुझे देर से पता लगा. आशा है अब तक आप पूर्णतया ठीक हो चुके होंगे, शुभकामनाएं.

अजित गुप्ता का कोना said...

यदि इस जीवन में कोई भी औषधि है तो वह श्रद्धा ही है। मन में श्रद्धा भाव रहता है तब हमारा मन ही नहीं तन भी सँवरने लगता हैं। आप शीघ्र स्‍वास्‍थ्‍य लाभ करे यही प्रभु से प्रार्थना है।

Murari Pareek said...

चन्द्र मोहन जी आप कुछ सवाल छोड़ कर आये थे कोशिश की है उत्तर देने की |
कुछ बातें अधूरी रह गयी | इसलिए की उन्हें अगर स्पष्ट करता तो बहुत लंबा लेख हो जाता | दरअसल जो हलुवा खाने की बात थी वो उसके मन का फितूर था ! कभी कभी कमजोर दिल का आदमी जब ऐसी कोई परछाई या वाकया सुन लेता है | जिससे उसके मन में डर बैठ जाता है | रोंगटे खड़े हो जाते है, और ऐसी कोई जबरदस्त बात जो उसके sub conscious अर्ध चेतन मस्तिष्क में चला जता जाता है| फिर वो क्या कहता है वो उसकी दबी हुई पुरानी घटना या इच्छा के अनुरूप होता है | रही बात बहन को काली साडी पहने दिखने की तो जब अंगुली दबाने की प्रक्रिया चल रही थी तो उसके मस्तिष्क में यही बात चल रही थी की अभी निकलेगा भुत, अभी निकलेगा, एक छवि मस्तिष्क में बनी और आँखों की पुतली पर स्वपन सद्र्स्य दिखाई दी | मेरा ऐसा मानना है | ये मैं आप पर कोई थोप नहीं रहा | जो घटना मैंने बयान की थी वो १००% सत्य थी सिवाय बिच बिच में टोटकों (मजाक की बात )के !!

संजय सिंह said...

बहुत सुन्दर रचना.
आशा की नई किरण संचारित करने में पूर्ण रूप से सफल

Prem said...

choti par sunder aur sukhad rachna.
aap jaldi svasth ho prarthna hai

डिम्पल मल्होत्रा said...

khoobsurat bhavo se bhari post....

adwet said...

'जीवन- कष्टों की बढती गाथा
क्या जाने,"श्रद्धा" जिसने जानी
jivan ka sach kaha aapne

hem pandey said...

'भूल गए सारे ही दुख-दर्दों को
पा प्यारे , भीगे अहसासों को'
- दुःख दर्द के पल इन्हीं अहसासों के जरिये आसानी से कट जाते हैं.

Harshvardhan said...

bahut sundar............