भाई सुबीर जी की पोस्ट पर मैंने जो टिप्पणी की थी , उसे हू -ब-हू प्रस्तुत कर रहा हूँ आप सभी के लिए होली के इस हुडदंगी माहौल में ...................
होली है!!!!!!!!!!!!!!!!!
होली ब्लागरों की मचा रही
जम कर अब तो हुडदंग
"बुरा न मानो" तर्ज पर
हुए सभी अब तो बदरंग
अकड़ -पकड़ जब रंग पड़े,
मन में जगी एक उमंग
हम भी पकड़ें, रंग रगड़े
उछल पड़े ले यही तरंग
गिरे धरा पर जब तो पाया
बस एक गधा दे रहा संग
बोला आ बैठ मुझी पर आज
है कितना प्यारा अपना संग
इन्सान मांगता फोटो भैया फिर
करे उन्हें रंगों से बदरंग
कैसी-कैसी वाणी/ शब्दों को फिर
गढे, ले अलंकारिक शैली के ढंग
हम तो दे साथ तुम्हें पल में
अपनापन दिखलाने के संग
बने सवारी कर तुम्हे सवार
ज्यों करे पोते कर बाबा को तंग
दिया मज़ा निश्चल भावों से
पर तुम्हे लगा बुरा ये ढंग
इसीलिए पड़ता तुमको कहना
"बुरा न मानो" होली संग
15 comments:
मंगलमय हो जी होली।
मन को मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके...
आदरणीय हिंदी ब्लोगेर्स को होली की शुभकामनाएं और साथ में होली और हास्य
धन्यवाद.
आपको और आपके परिवार में समस्त स्वजनों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आपका साथ देने से गधा कहलाने का खतरा भी हो सकता है.
लेकिन विपरीत भी तो हो सकता है
हा हा हा .....
होली है....
होली मुबारक.......
गुप्ता जी
बहुत होली मयी रचना है आपकी....आनंद आया पढ़ कर...आप और आपके परिवार को भी होली की शुभकामनाएं...देर से ही सही...
नीरज
बेहद रंगीन होली है, शुभकामनाएँ !!!!!
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं.
होली ब्लागरों की मचा रही
जम कर अब तो हुडदंग
"बुरा न मानो" तर्ज पर
हुए सभी अब तो बदरंग
अकड़ -पकड़ जब रंग पड़े,
मन में जगी एक उमंग
हम भी पकड़ें, रंग रगड़े
उछल पड़े ले यही तरंग....
होली की शुभकामनाएं ....!!
meri rachna ko itani gambhirta se samajhne aur itani gahan vivechna karne k liye shukriya...!!
होलीमयी रचना,शुभकामनाएं.
अच्छी लिखी आपने यह होली रचना
HOLI ke paavan avsar par aapki
bhaavnaaeiN qaabil-e-qadr haiN.
vichaaroN ki shuddhatta khoob jhalakti hai.....
badhaaee
---MUFLIS---
चन्द्र मोहन जी ,आपकी कविता पढ़ कर ऐसा लगा की होली की सारी मस्ती यहीं है !!!बहुत खूब !!!!!
आप सभी स्नेही बंधुओं ने जिस ललक और तन्मयता से होली पर्व का आनंद लिया और साथ ही ब्लॉग जगत को भी न केवल अपनी-अपनी रचनाओं से सराबोर किया, बल्कि यार्तार्थ परक टिप्पणियों से भी नवाजा, कबीले तारीफ है.
एक बार पुनः आप सभी को होली की हार्दिक बधाइयाँ.
चन्द्र मोहन गुप्त
देर से ही सही, आपको होली की बधाई!
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