Thursday, 18 December 2008

श्रद्धा

श्रद्धा

(४५)


प्रगति के सोपानों की तस्वीरें तूने

कमाई के चढ़ते ग्राफों में ही ढाली है

कर दर-किनार मानव-मूल्यों को

कमाने की आपा-धापी ही पाली है


निःशक्त बनोगे कालांतर में जब

अपने तो क्या, ग्राफ भी बेमानी होंगें


जो रमें मानव-मूल्यों में श्रद्धा से

तो सेवार्थियों ने भीड़ जमा ली है

13 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

पैसे का निरादर और पैसे के प्रति आसक्ति - दोनो में ही दोष है। धन को सार्थक ईश्वरीय शक्ति के रूप में लेना ही सही रास्ता है।
आपने सही लिखा है जी।

Vinay said...

तर्क संयुक्त!

मुकेश कुमार तिवारी said...

भाई मुमुक्ष,

सादर वंदन,

आज की आपा-धापी भरे युग में जहाँ जीवन मूल्यों की खोज किसी ग्राफिक पैटर्न को समझने भर तक ही सीमित रह गई हो या ट्रैण्ड एनालिसिस तक.

आपकी रचना विचार जगाती है.

मुकेश कुमार तिवारी

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत अच्छी अद्भुत रचना ...

रश्मि प्रभा... said...

प्रगति के सोपानों की तस्वीरें तूने
कमाई के चढ़ते ग्राफों में ही ढाली है
कर दर-किनार मानव-मूल्यों को
कमाने की आपा-धापी ही पाली है........
एक प्रभावशाली अभिव्यक्ति है यह,
सच को बखूबी प्रस्तुत किया है........काफी अच्छी लगी

अनुपम अग्रवाल said...

प्रगति के सोपानों की तस्वीरें तूने
कमाई के चढ़ते ग्राफों में ही ढाली है
कर दर-किनार मानव-मूल्यों को
कमाने की आपा-धापी ही पाली है

zindagee kee hakeeqat bayaan kar dee aapne itne kam shabdon mein .
badhaai

कडुवासच said...

कर दर-किनार मानव-मूल्यों को
कमाने की आपा-धापी ही पाली है
... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है।

हरकीरत ' हीर' said...

Mumukshh ji bhot acchi rachna....BDHAI..!!!

महावीर said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है, कुछ सोचने को भी बाध्य करती है।
महावीर शर्मा

Amit Kumar Yadav said...

प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है. बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. ***वैलेंटाइन डे की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयाँ***
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'युवा' ब्लॉग पर आपकी अनुपम अभिव्यक्तियों का स्वागत है !!!

अनुपम अग्रवाल said...

अब अच्छे विचारोँ को आगे बढाने के अनुरोध के साथ
आपसे लिखने का अनुरोध है

vandana gupta said...

bilkul sahi likha hai aapne.

Preeti tailor said...

kam shabdome sab kuchh kah diya..