नवरात्र उपासना उपवास द्वारा
* नवरात्र महापर्व में व्रत रखने का विशेष महत्त्व है
* अपेक्षा यह रहती है कि हम अपने अंतर्मन में रचे-बसे विकारों को दूर कर अच्छाई की ओर प्रवृत्त हों
* ध्यान रहे व्रत का आशय उपवास रखने भर से ही नहीं है, बल्कि संयमित उपवास से है
* संयमित उपवास में उपवास या फलाहार जहाँ हमारी काया शुद्ध करते हैं, वहीँ संयम अर्थात उपवास में लिए गए हमारे सच्चे संकल्प हमारे ही मन को निर्मल भी बनाते हैं
* तन-मन की यही पवित्रता ही हमारी उपासना को सफल बना सकती है
**************************************************
नवरात्र, उपवास/ फलाहार को भुनाना
* नवरात्र के प्रारंभ में ही एक हिंदी समाचार पत्र में पूर्ण प्रष्ठ का विज्ञापन "अंकल चिप्स" का दिखा
* इसमें "अंकल चिप्स- सेंधा नमक" को "नवरात्र स्पेशल" के रूप में अत्यंत आकर्षक ढंग से पेश किया गया था.
* साथ में नीचे लिख था ' बोले मेरे लिप्स, आई लव अंकल चिप्स"
* ध्यान दें कि उपवास में फलाहार "माँ" के चढ़ावे के बाद प्रसाद स्वरुप ही होता है,
प्रसाद में भक्त के नहीं,
"माँ" की मर्ज़ी, पसंद चलती है,
आस्था का विषय जो ठहरा............
* समझ से बाहर है कि कब से "माँ" के लिप्स कहने लगे "आई लव अंकल चिप्स".........
* यह तो रही व्यवसायिकता की मौका भुनाने की बात....
* पर ध्यान से गौर करे कि वह भी किस कीमत पर.....
* दाम मात्र ३० रुपये प्रति ११५ ग्राम अर्थात २६० रुपये प्रति किलोग्राम
* क्या यह भक्तो के प्रति श्रद्धा से प्रस्तुति है /अर्पण है, या उनकी भावनाओं को गुमराह कर लूटने का एक व्यवसायिक और बीभत्स खेल......
* शुद्ध रूप आलू चिप्स है, न कि अंकल चिप्स, जिससे लगे कि यह अंकल को काट- काट कर चिप्स बनाई गयी है...... नवरात्र महापर्व के लिए स्पेशल रूप से .......
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मूल्य , मूल्य निर्धारण, पारदर्शिता
* सफल व्यवसायिकता का मूल उद्देश्य है पारिवारिक जीवकोपार्जन हेतु लाभ कमाना........
* हमारे राष्ट्र-पिता गांधीजी का कहना था कि व्यापारी को नफा, दाल में नमक के बराबर रख कर ही व्यापार करना चाहिए.....
* उपरोक्त के मद्देनज़र यदि अंकल चिप्स के मूल्य या फिर ऐसे ही बाज़ार में भरे हुए अन्य तमाम सामान / उत्पाद पर नज़र डालें तो लगता है कि अधिकांश में मूल्य निर्धारण किसी भी तरह न्यायोचित नहीं हैं......
* प्रश्न उठता है कि जब उत्पाद की गुणवत्ता का मानक बनाया जा सकता है, तो मूल्य निर्धारण का कोई मानक क्यों नहीं बनाया जा सकता........
गुणवत्ता निर्धारित ,
मूल्य निर्धारित ......
फिर प्रतियोगिता में जनता को उच्च गुणवत्ता का माल उचित मूल्य पर स्वतः मिलना प्रारंभ हो ही जायेगा.........
* पारदर्शिता के लिए प्रत्येक उत्पाद पर गुणवत्ता की तरह मूल्य निर्धारण के भी सभी अवयवों का जिक्र किया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए....
* यदि ऐसा हो पाया तो फिर रहेगा गुणवत्तायुक्त माल का न्यायोचित मूल्य........
* फिर तो कोई नहीं कहेगा ......
'मंहगा रोये एक बार, सस्ता रोये बार-बार"
* सस्ते-मद्दे का चक्कर ही ख़त्म.....
* अपने -अपने माल / उत्पाद को ब्रांडेड बनाने की होड़ का होगा आगाज़.......
(यह लेख मैनें लिख तो लिया था, नवरात्र महापर्व के ही दौरान, किन्तु विवशताओं के तहत या कहें कि समय अनकूल न होने के कारण इसे समय से पोस्ट न कर पाया, जिसका मुझे खेद है...... फिर भी देर से ही सही,पेश करने का दुस्साहस कर रहा हूँ .....
आप सभी को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं
और साथ ही समयानुकूल विजय दशमी की भी हार्दिक शुभकामनाएं .........)
* नवरात्र महापर्व में व्रत रखने का विशेष महत्त्व है
* अपेक्षा यह रहती है कि हम अपने अंतर्मन में रचे-बसे विकारों को दूर कर अच्छाई की ओर प्रवृत्त हों
* ध्यान रहे व्रत का आशय उपवास रखने भर से ही नहीं है, बल्कि संयमित उपवास से है
* संयमित उपवास में उपवास या फलाहार जहाँ हमारी काया शुद्ध करते हैं, वहीँ संयम अर्थात उपवास में लिए गए हमारे सच्चे संकल्प हमारे ही मन को निर्मल भी बनाते हैं
* तन-मन की यही पवित्रता ही हमारी उपासना को सफल बना सकती है
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नवरात्र, उपवास/ फलाहार को भुनाना
* नवरात्र के प्रारंभ में ही एक हिंदी समाचार पत्र में पूर्ण प्रष्ठ का विज्ञापन "अंकल चिप्स" का दिखा
* इसमें "अंकल चिप्स- सेंधा नमक" को "नवरात्र स्पेशल" के रूप में अत्यंत आकर्षक ढंग से पेश किया गया था.
* साथ में नीचे लिख था ' बोले मेरे लिप्स, आई लव अंकल चिप्स"
* ध्यान दें कि उपवास में फलाहार "माँ" के चढ़ावे के बाद प्रसाद स्वरुप ही होता है,
प्रसाद में भक्त के नहीं,
"माँ" की मर्ज़ी, पसंद चलती है,
आस्था का विषय जो ठहरा............
* समझ से बाहर है कि कब से "माँ" के लिप्स कहने लगे "आई लव अंकल चिप्स".........
* यह तो रही व्यवसायिकता की मौका भुनाने की बात....
* पर ध्यान से गौर करे कि वह भी किस कीमत पर.....
* दाम मात्र ३० रुपये प्रति ११५ ग्राम अर्थात २६० रुपये प्रति किलोग्राम
* क्या यह भक्तो के प्रति श्रद्धा से प्रस्तुति है /अर्पण है, या उनकी भावनाओं को गुमराह कर लूटने का एक व्यवसायिक और बीभत्स खेल......
* शुद्ध रूप आलू चिप्स है, न कि अंकल चिप्स, जिससे लगे कि यह अंकल को काट- काट कर चिप्स बनाई गयी है...... नवरात्र महापर्व के लिए स्पेशल रूप से .......
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मूल्य , मूल्य निर्धारण, पारदर्शिता
* सफल व्यवसायिकता का मूल उद्देश्य है पारिवारिक जीवकोपार्जन हेतु लाभ कमाना........
* हमारे राष्ट्र-पिता गांधीजी का कहना था कि व्यापारी को नफा, दाल में नमक के बराबर रख कर ही व्यापार करना चाहिए.....
* उपरोक्त के मद्देनज़र यदि अंकल चिप्स के मूल्य या फिर ऐसे ही बाज़ार में भरे हुए अन्य तमाम सामान / उत्पाद पर नज़र डालें तो लगता है कि अधिकांश में मूल्य निर्धारण किसी भी तरह न्यायोचित नहीं हैं......
* प्रश्न उठता है कि जब उत्पाद की गुणवत्ता का मानक बनाया जा सकता है, तो मूल्य निर्धारण का कोई मानक क्यों नहीं बनाया जा सकता........
गुणवत्ता निर्धारित ,
मूल्य निर्धारित ......
फिर प्रतियोगिता में जनता को उच्च गुणवत्ता का माल उचित मूल्य पर स्वतः मिलना प्रारंभ हो ही जायेगा.........
* पारदर्शिता के लिए प्रत्येक उत्पाद पर गुणवत्ता की तरह मूल्य निर्धारण के भी सभी अवयवों का जिक्र किया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए....
* यदि ऐसा हो पाया तो फिर रहेगा गुणवत्तायुक्त माल का न्यायोचित मूल्य........
* फिर तो कोई नहीं कहेगा ......
'मंहगा रोये एक बार, सस्ता रोये बार-बार"
* सस्ते-मद्दे का चक्कर ही ख़त्म.....
* अपने -अपने माल / उत्पाद को ब्रांडेड बनाने की होड़ का होगा आगाज़.......
(यह लेख मैनें लिख तो लिया था, नवरात्र महापर्व के ही दौरान, किन्तु विवशताओं के तहत या कहें कि समय अनकूल न होने के कारण इसे समय से पोस्ट न कर पाया, जिसका मुझे खेद है...... फिर भी देर से ही सही,पेश करने का दुस्साहस कर रहा हूँ .....
आप सभी को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं
और साथ ही समयानुकूल विजय दशमी की भी हार्दिक शुभकामनाएं .........)
25 comments:
व्यवसायिक लोगों को धार्मिक आस्थाओं में भी व्यापर की असीम संभावनाएं नज़र आती हैं । और वे इसे भुनाने का कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहते ।
आपने व्रत और उपवास में सही अंतर बताया । विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें चन्द्र मोहन जी ।
बहुत बढिया पोस्ट है, बस नवरात्रि के आरम्भ में आ जाती तो मज़ा आ जाता.
विजयादशमी की अनन्त शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर बाते बताई आप ने ओर व्रत या उपवास का सही अर्थ समझाया, इन व्यापारियो को आस्था से या लोगोम की भावनायो से कोई वास्ता नही इन को तो धन मे ही भगवान नजर आता हे. धन्यवाद
विजयादशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
महोत्सवों के दिनों में व्यापार को बढ़ाने के चक्कर में ऐसे ही चीजों को बेचा जाता है ... उपासना की सही विधि के साथ आपने मूल्यों के प्रति और गुणवत्ता के प्रति हमें सावधान कर एक अच्छा कार्य किया है । व्यवस्था में पारदर्शिता जरूरी है ...लेकिन सुने कौन ??? एक बड़ा सवाल है ।
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
.
जानकारी देता हुआ सुन्दर आलेख। -- शुभकामनाएं।
.
धार्मिक भावनाओॆ को तो बहुत दिनों से भुनाया जा रहा है, व्यावसायिक हितों के लिये।
... saarthak va prasanshaneey abhivyakti !!!
सुंदर प्रस्तुति....
आपको
दशहरा पर शुभकामनाएँ ..
आप किस युग के इंसान हैं जो आज के हालात में अच्छाइयों को तलाश रहे हैं...बंधू ज़माना आगे निकल चुका है...पैसे के लिए कुछ भी करना जायज़ माना जाता है वो चाहे बोले मेरे लिप्स लिख कर अंकल चिप्स बेचने की बात ही क्यूँ न हो...
आप सज्जन इंसान हैं जो आज के युग में अजूबा है...सच्ची और अच्छी बातें लिखते हैं...
लिखते रहें अच्छा लगता है देख कर के कोई तो है जो आज के दौर में सच्ची बात कहने की हिम्मत रखता है...
नीरज
kaviman aise hi sochta hai jaise aap ne socha . isiliye to kavi sab se alag hota hai. antardrashti parhit se paripoorn hoti hai.yahi to ek kavi ki jagir hoti hai. aap ne sahi kaha hai. badhai!!
शुभ विजयादशमी ।
नवरात्र भले ही बीत गई हो पर आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया हैं....खास कर व्रत के महत्म्य के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा..धन्यवाद
बेहतरीन पोस्ट !
व्रतोपवास के मूलभूत अन्तर को आपने बहुत अच्छे से स्पष्ट किया.....
सिर्फ विज्ञापनबाजी के बूते पर ही आज व्यवसायिक हित साधक समाज के मन मस्तिष्क पर पूरी तरह से कब्जा जमाने में जुटे हैं...बल्कि बहुत हद तक तो जमा ही चुके हैं.
चलिए देर से ही, विजयदशमी की आपको भी हार्दिक शुभकामनाऎँ!!
बहुत सही कहा आपने.....
आज सोने जागने से लेकर जीवन का कोई भी क्षेत्र नहीं जहाँ बाज़ार अपनी पैठ नहीं बनाये हुए है...
aapko bhi shubhkamnayen!
vyapari manowrutti yahee hai ki awasar ka bharpoor labh uthao. ye sare vrat humen sayam sikhane ke liye hee hain na ki jiva lalasa trupt karane ke liye. Apane ek bar tay kar liya ki aaj upwas hai to koee lalach aapke nishay ko diga na sake. aise deha aur man ko tap se pawan kar ke Ishwar ki ya Ishwaree ki aaradhana ka mahatw hai. Is samayik shikshaprad post ke liye aabhar.
हाँ, पोस्ट करने में विलंब हुआ है मगर कोई बात नहीं आपके विचारों से तो अवगत हुआ।
व्यवसाय का हर क्षेत्र पर कव्जा हो चुका है यही एक क्षेत्र ऐसा था जिस पर कव्जा करना मुश्किल था क्यों िकइस पर कव्जा अन्य लोगों का है तो इस क्षेत्र में प्रवेश का रास्ता यही नजर आया तो लगादी सेंध।
व्रत और उपवास मे जो अन्तर बताया है वही सही है ,व्रत को उपवास मान लिया गया है । उत्तम लेख ।
हर चीज़ का कमर्शियल इस्तेमाल होने लगा है ... आस्था भी उनमे से एक है ....
आपको भी बधाई नव रात्रि के पर्व की ....
आपकी ये पोस्ट बेहद अच्छी लगी .इसमें कही गई बातों से मैं सहमत हूँ .
इस पोस्ट जितनी भी तारीफ़ की जाए उतनी ही कम है. इस सुंदर और सार्थक पोस्ट के लिए आपका आभार.
badhiya likha hai ,deep parv ki dhero badhaiyaan aapko
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
यह एक बेहतरीन और संग्रहणीय पोस्ट है.
नव वर्ष २०११ के लिए आप को सपरिवार हार्दिक मंगलकामनाएं
nav barsh ki hardik shubhkamnaye .
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
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