Friday 28 July, 2017

"करम का लेख" विशेषण रहित है, अर्थात भेद-भाव से परे……………यह बहुतों को बुझाता नहीं और प्रमाण के लिए वैज्ञानिक तथ्य की गुहार करने लगता है और अन्ततः तभी बुझाती है जब ऊपर वाले की लाठी उस पर बरसती है अनायास और कह बैठता है....."हे भगवन, मैंने ऐसा क्या किया, जिसकी सजा मुझे दे रहे हो"................
खैर हर वह, जो  
समझे न समझे
पर गा भी देता है
"………………जैसा करम करेगा, वैसा फल देगा भगवान"
"जैसा" और "वैसा" भी भेद-भाव से परे वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ध्वनि और प्रतिध्वनि सदृश्य ही तो हैं बस महसूस होने में बीच में कुछ "काल या कहें पल" का अंतर
'काल और पल" की गणना का भी अपना प्राचीनतम विज्ञान है, जिसे समझना और तदनुसार उद्घोषणा करना हर किसी के बूते की बात नहीं
फिर भी तमाम ज्योतिष शास्त्र विरोधी लोग भी अपने हर काम हेतु शुभ लग्न की तलाश में दिखते हैं और नारियल फोड़ने-फ़ुड़वाने से भी नहीं चूकते
गजब की सहमति असहमति वालों में भी अक्सर दिख ही जाती है हर शुभ समझे जाने वाले अवसर पर

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